पुरुष बाँझपन का घरेलू उपचार :
पुरुष बाँझपन की चिकित्सा में आयुर्वेदीय मतानुसार बाजीकारण योगों का रोग के लक्षणों के अनुसार प्रयोग करना चाहिए ।
1) प्याज की 30 गाँठों को एक बर्तन में रखकर उसके ऊपर इतना ताजा दूध डालें कि वह प्याज के ऊपर तक 4 अंगुल भर जाये, फिर उसको पकायें, जब गल जाये तब नीचे उतार लें। फिर प्याज के बराबर गाय का घी और शहद डालकर पुन: थोड़ी देर पकायें । फिर शकाकुल और कुलंजन 60-60 ग्राम उसमें मिलाकर सुरक्षित रख लें। इसे 10-10 ग्राम की मात्रा में खायें । यह योग पुरुष बाँझपन नाशक तथा वीर्य वर्धक है।
2) प्याज को किसी बर्तन में भरकर उसके मुँह को सावधानीपूर्वक बन्द कर दें जिससे उसमें वायु प्रवेश न कर सके । फिर उस बर्तन को गाय बाँधने की जगह पर 4 माह के लिए गाढ़ दें । तत्पश्चात् उसको निकालकर प्रतिदिन 1 प्याज खाने से मनुष्य की वीर्य-शक्ति में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है ।
3) कोक शास्त्र के रचियता विद्धान पन्डित कोक के मतानुसार सर्वोत्तम बाजीकरण का प्रयोग यह है कि गुप्तांग के बाल सदैव साफ रखें तथा प्याज का प्रतिदिन सेवन करें। प्याज मन में हलचल उत्पन्न कर काम को जागृत करता है तथा मैथुन करने की शक्ति प्रदान करता है। प्याज के रस के साथ शहद मिलाकर सेवन करना भी अत्यधिक लाभप्रद है। प्याज के सेवन करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी निर्बल नहीं होता है । सफेद प्याज का रस 6 ग्राम देशी घी 6 ग्राम तथा शहद 3 ग्राम की 1 मात्रा बनाकर सुबह शाम प्रयोग करने से लिंग दौबर्त्य, हस्तमैथुन-जन्य विकार मिटते हैं।
4) प्याज के रस को गाय के दूध के साथ सेवन करने से तथा साथ में प्याज का रस घी, शहद तीनों को असमान मात्रा में प्रयोग करने से दुर्बलता गायब हो जाती है ।
5) काले उड़द की दाल धुली हुई 1 किलोग्राम को प्याज के रस में भिगोकर बर्तन को धूप में रख दें । जब रस सूख जाये तो फिर प्याज का 1 कि.ग्रा. रस डाल दें । इस प्रकार दाल में प्याज का 40 कि.ग्रा. रस शोषित करा दें। अब इसमें से 20 ग्राम दाल लेकर आधा कि. ग्रा. गाय के दूध में पकायें तथा 10 ग्राम की मात्रा में गाय का घी भी डाल दें। फिर इस में स्वेच्छानुसार शक्कर डालकर पियें । इसके सेवन से बल तथा मुख की कान्ति बढ़ेगी, समस्त शरीर को बल प्राप्त होगा। वीर्य सम्बन्धी समस्त विकार नष्ट हो जायेंगे ।
6) प्याज का रस 3 से 10 ग्राम तक मधु में मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से प्रमेह और वीर्य सम्बन्धी समस्त विकार दूर हो जाते हैं ।
7) प्याज और गुड़ मिलाकर खाने से अत्यन्त बाजीकरण योग बन जाता है। इससे वीर्य वृद्धि होती है तथा गर्भाधान शक्ति बढ़ती है ।
8) प्रात:काल लहसुन की 4 कलियाँ छीलकर उन्हें दाँतों से देर तक चबाकर ऊपर से दूध या घी पी जायें । इससे बल और वीर्य शक्ति में अपार वृद्धि होगी। नामर्दी तक नष्ट हो जायेगी तथा स्त्रियों का बांझपन भी दूर हो जाता है । नियम से उसका प्रयोग सारे शीतकाल में करें । नागा बिल्कुल न करें ।
9) चाय के साथ लहसुन के रस की 10 बूंदें दिन में 2-3 बार लेते रहने से शुक्राशय सबल होता है । यदि फिर भी अशक्ति महसूस करें तो सुबह शाम लहसुन की बर्फी (एक पोतिया लहसुन साफ कर 1 कि, की मात्रा में धो पीसकर 5 कि. गाय के गुनगुने दूध में मिलाकर हल्की आग पर पकायें और उसका मावा (खोबा) बना लें। फिर इस मावा को देशी घी में भूनकर (हल्की आग में) खूब बादामी रंग का कर लें । फिर चाशनी के साथ बर्फी बना लें ) 25-30 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से मिश्रीयुक्त दूध पी लें । इसके सेवन से सभी प्रकार के वीर्य दोष, मूत्र-विकार दूर होकर रतिक्रिया में अरुचि नष्ट हो जायेगी । यह बर्फी पुष्टिकर उल्लासप्रद, ज्ञान तन्तुओं को चैतन्यता प्रदान करने वाली, मधुर एवं स्वादिष्ट बाजीकरण उपयोगी औषधि है।
10) देशी घी में लहसुन की कुछ कलियां भूनकर नियमित रूप से खाने से स्तम्भन-शक्ति में अपार वृद्धि हो जाती है। यहाँ तक कि यदि नपुंसकता जन्मजात न हो तो वह भी आखिरी नमस्कार कर जाती है ।
11) कबाबचीनी, इलायची, बंशलोचन, मिश्री—सभी सममात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर 10 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से वीर्य सम्बन्धी समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं।
12) दालचीनी बारीक पीसकर रख लें । इसे 4-4 ग्राम की मात्रा में सुबह व रात को सोते समय गर्म दूध से लें । इससे वीर्य में वृद्धि होती है तथा दूध भी पच जाता है । बलप्रद योग है।
13) इमली के बीजों को रात्रि में पानी में भिगोकर सबेरे उन्हें छील पीसलें। फिर बराबर वजनका गुड़ मिलाकर 6-6 ग्राम की गोलियाँ बना लें । एक-एक गोली सुबह शाम सेवन करने से वीर्य की कमजोरी नष्ट होती है ।
14) इमली के बीजों को भाड़ में भुनवाकर उसका छिलका उतार कर फेक दें तथा गूदे को पीसकर चूर्ण बना लें । चूर्ण के बजन के बराबर खान्ड मिलाकर सुरक्षित रख लें । इसे नित्यप्रति प्रात:काल 6 ग्राम की मात्रा में गोदुग्ध से सेवन करने से धातु पुष्ट हो जाती है ।
15) शतावर 10 तोला खूब बारीक पीसकर सुरक्षित रख लें । इसे 6 माशा से 1 तोला तक की मात्रा में आधा सेर दूध में जोश देकर 5 तोला खान्ड मिलाकर गाढ़ा होने पर ठन्डा करके रात को सोते समय खायें । मूल्यवान बलवर्धक योग भी इसका मुकाबला नहीं कर सकता है । जिगर, गुर्दे को शक्ति देने के साथ ही यह योग वीर्य को गाढ़ा करता है ।
16) भूसी ईसब गोल 5 तोला तथा मूसली सफेद ढाई तोला लें । दोनों को कूट पीस छानकर मिला लें। 6 माशा की मात्रा में लेकर डेढ पाव दूध में पकायें। जब खीर सी बन जाये तब चीनी डालकर हल्का गुनगुना ही पी जायें । बल वीर्य बर्द्धक योग है।
17) असगन्ध नागौरी और विधारा दोनों को कूटपीसकर कपड़े से छानकर बराबर वजन में चीनी मिलाकर रख लें । इसे 3 से 6 ग्राम की मात्रा में ताजा दूध या पानी से दिन में 3 बार सेवन करें। देखने में यह योग अत्यन्त मामूली तथा अल्प मूल्य का है, किन्तु इसके सेवन करने से वीर्य का पतला होना, वीर्य में शुक्रकीट उत्पन्न न होना, स्वप्नदोष, वीर्य प्रमेह, अत्यन्त वीर्य नाश से उत्पन्न कमजोरी, वजन गिर जाना, चेहरा पिचका हुआ, आँखें अन्दर धंसी हुई, शरीर मात्र हड्डी का पिन्जर हो जाना, स्त्री के नाम से ही भय खाने वाला रोगी तक जवान, और मोटा-ताजा हो जाता है । यही चूर्ण अश्वगन्धादि के नाम से जाना जाता है ।
पुरुष बाँझपन की दवा :
अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित पुरुष बाँझपन में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |
1) अश्वगंधा पाक (Achyutaya Hariom Ashwagandha Pak)
2) शतावरी चूर्ण (Achyutaya Hariom Shatavari Churna )
2) तुलसी गोली (Achyutaya Hariom Tulsi Tablet)
Comments
Post a Comment